खुशा हो तुझे तेरे लब-ए-ताबस्सुल ।
की मुझे मुअय्यन मेरी खल्वत में रखा क्या है ॥
वो तो मुरीद हूँ मै नूर-ए-निगार का ।
वर्ना उस बेईल्तिफानी नज़र में रखा क्या है ॥
ग़म नहीं दिल-ए-रंजूर को फ़राग का ।
की इस नबर्द-ए-इश्क में रखा क्या है ॥
दहान-ए-ज़ख्म की तो आदत है मुझे ।
अब ग़म-ए-जीस्त,शब्-ए-फिराक में रखा क्या है ॥
Meanings--->
खुशा -- मुबारक ।
लब-ए-ताबस्सुल -- होठों की मुस्कान ।
मुअय्यन -- नियत ।
खल्वत -- तन्हाई ।
निगार -- हसीन महबूब ।
बेईल्तिफानी -- बेरुखी ।
दिल-ए-रंजूर -- ग़मज़दा दिल ।
फ़राग -- जुदाई ।
नबर्द-ए-इश्क -- प्रेम युद्ध ।
दहान-ए-ज़ख्म -- ज़ख्म खाना ।
ग़म-ए-जीस्त -- जीवन के दुःख ।
शब्-ए-फिराक -- वियोग की रात ।
by -->
Srijan
By ---> SRIJAN
Kuch likhne ki aarzoo ... Kuch unkaha kehne ki tamanna ... Kuch unsuna sunane ki hasrat ... This is what this blog is all about..... (Srijan)
Tuesday, January 20, 2009
Friday, January 9, 2009
My first shayari......
This shayari reflects my philosophy of love...
ये गाफिल तेरी नज़रें ,यूँ ढूँढें क्या दरीचों से ॥
सदा-ऐ-दिल सुन ऐ काफिर,तेरी हसरत में है वही॥
अर्ज़-ऐ-तमन्ना कर ,कहर न ढ़ा ऐ खब्त-ऐ-दिल॥
अश्क-ऐ-मंज़र देखें नज़रें,तेरी फितरत में ये नहीं॥
Meanings--
गाफिल-बेसुध
दरीच-खिड़कियाँ
हसरत-इच्छा
खब्त-पागल
by-->
Srijan
ये गाफिल तेरी नज़रें ,यूँ ढूँढें क्या दरीचों से ॥
सदा-ऐ-दिल सुन ऐ काफिर,तेरी हसरत में है वही॥
अर्ज़-ऐ-तमन्ना कर ,कहर न ढ़ा ऐ खब्त-ऐ-दिल॥
अश्क-ऐ-मंज़र देखें नज़रें,तेरी फितरत में ये नहीं॥
Meanings--
गाफिल-बेसुध
दरीच-खिड़कियाँ
हसरत-इच्छा
खब्त-पागल
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Srijan
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