खुशा हो तुझे तेरे लब-ए-ताबस्सुल ।
की मुझे मुअय्यन मेरी खल्वत में रखा क्या है ॥
वो तो मुरीद हूँ मै नूर-ए-निगार का ।
वर्ना उस बेईल्तिफानी नज़र में रखा क्या है ॥
ग़म नहीं दिल-ए-रंजूर को फ़राग का ।
की इस नबर्द-ए-इश्क में रखा क्या है ॥
दहान-ए-ज़ख्म की तो आदत है मुझे ।
अब ग़म-ए-जीस्त,शब्-ए-फिराक में रखा क्या है ॥
Meanings--->
खुशा -- मुबारक ।
लब-ए-ताबस्सुल -- होठों की मुस्कान ।
मुअय्यन -- नियत ।
खल्वत -- तन्हाई ।
निगार -- हसीन महबूब ।
बेईल्तिफानी -- बेरुखी ।
दिल-ए-रंजूर -- ग़मज़दा दिल ।
फ़राग -- जुदाई ।
नबर्द-ए-इश्क -- प्रेम युद्ध ।
दहान-ए-ज़ख्म -- ज़ख्म खाना ।
ग़म-ए-जीस्त -- जीवन के दुःख ।
शब्-ए-फिराक -- वियोग की रात ।
by -->
Srijan
By ---> SRIJAN
gud job again.....very successful in confusing me yet another tym...vaise ek darkhwast hai...yar ek simple si rachna kar jise aasani se aatmsaat kiya ja sake(i mean bheed mei logo ko suna ke apna creation bola ja sake [;)] )
ReplyDeletehello srijan
ReplyDeletedis is for u & fr all those frnz whom i adore n respect:
''I wish hapiness steadily flow on ur way;
and nothing but satisfaction embrace everyday
Wherever u go watever u achieve, hold ur smile
all I wish and I pray.''
Those r d lucky ones who can differentiate between the two distinct voices of their heart & mind and when one can sense & follow d right of the two voices
simply a ''SRIJAN ARISES''