हर सुखन पर वो करते हैं हौसलाफजाई,
और लब-ऐ-खामोशी पर करते हैं मुआखज़,
पर अफ़सोस की वो निहाँ-ऐ-गम को जो न समझे ।
ज़ेहेन में तो हर सू उठे सवाल,
की हो जा इस तल्ख़ सच से रूबरू,
पर बरबन्दे इश्क में ये दिल-ऐ-गुमगश्ता न समझे ।
Meanings -->
सुखन - शायरी ।
मुआखज़ - पूछ ताछ ।
निहाँ - छिपा हुआ ।
हर सू - हर तरफ़ ।
तल्ख़ - कड़वा ।
बरबन्दे-ऐ-इश्क - इश्क की कैद ।
दिल-ऐ-गुमगश्ता - खोया हुआ दिल ।
By --->
Srijan
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