उम्मीद का दमन थाम किसे क्या नसीब हुआ है ।
दूर तो वही गया है जो जितना करीब हुआ है ।
कोशिश तो हम भी करते हैं की न करें कोई हसरत ।
पर क्या करें इस दिल का जो मेरा रकीब हुआ है ॥
कौन कहता है की वक्त की शाख से लम्हे नही तोड़ा करते ।
हम तो उन लम्हों के सहारे ही जिए बैठे हैं ।
बेशक वो उनके लिए ज़र्द हो चुके हो ।
पर हम तो अपना गुलशन वीरान किए बैठे हैं ॥
दूर तो वही गया है जो जितना करीब हुआ है ।
कोशिश तो हम भी करते हैं की न करें कोई हसरत ।
पर क्या करें इस दिल का जो मेरा रकीब हुआ है ॥
कौन कहता है की वक्त की शाख से लम्हे नही तोड़ा करते ।
हम तो उन लम्हों के सहारे ही जिए बैठे हैं ।
बेशक वो उनके लिए ज़र्द हो चुके हो ।
पर हम तो अपना गुलशन वीरान किए बैठे हैं ॥
by --->
Srijan
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