यादों के पुलिंदे से कुछ लम्हे आज़ाद कर रहा हूँ,
खुशकिस्मत समझ, कि तुझे याद कर रहा हूँ।
आज भी मेरे हर लफ्ज़ का आगाज़ तुझसे है,
लिखी हुई हर रचना का इतिहास तुझसे है।
उन पलों कि मिठास आज भी होठों पर चिपकती है,
खुशियों की अधूरी प्याली मदहोश हो छलकती है।
तेरी यादों में शाम मै अपनी बर्बाद कर रहा हूँ,
खुशकिस्मत समझ, कि तुझे याद कर रहा हूँ।
ऐसा नहीं कि तेरी मोहब्बत का मुझे अब जोश नहीं,
पर क्या पता इसमें किसका कसूर और किसका दोष नहीं।
कौन कहता है कि ये चाहत के बेईमानों का फितूर है,
शायद, तेरे सिले लफ्ज़ और मेरी ठहरी नब्ज़ का ये कसूर है।
तुझे भूलने के ये नुस्खे जो मैं इज़ाद कर रहा हूँ ,
खुशकिस्मत समझ, कि तुझे याद कर रहा हूँ।
----- सृजन
खुशकिस्मत समझ, कि तुझे याद कर रहा हूँ।
आज भी मेरे हर लफ्ज़ का आगाज़ तुझसे है,
लिखी हुई हर रचना का इतिहास तुझसे है।
उन पलों कि मिठास आज भी होठों पर चिपकती है,
खुशियों की अधूरी प्याली मदहोश हो छलकती है।
तेरी यादों में शाम मै अपनी बर्बाद कर रहा हूँ,
खुशकिस्मत समझ, कि तुझे याद कर रहा हूँ।
ऐसा नहीं कि तेरी मोहब्बत का मुझे अब जोश नहीं,
पर क्या पता इसमें किसका कसूर और किसका दोष नहीं।
कौन कहता है कि ये चाहत के बेईमानों का फितूर है,
शायद, तेरे सिले लफ्ज़ और मेरी ठहरी नब्ज़ का ये कसूर है।
तुझे भूलने के ये नुस्खे जो मैं इज़ाद कर रहा हूँ ,
खुशकिस्मत समझ, कि तुझे याद कर रहा हूँ।
----- सृजन
फिर तेरी यादों में शाम मै अपनी बर्बाद कर रहा हूँ....
ReplyDeleteकहीं किसी को याद करती ये सृजनात्मक रचनाएँ । बहुत ही उम्दा !!!
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