Tuesday, January 20, 2009

Gham-E-Pinhaa.....

खुशा हो तुझे तेरे लब-ए-ताबस्सुल
की मुझे मुअय्यन मेरी खल्वत में रखा क्या है
वो तो मुरीद हूँ मै नूर--निगार का
वर्ना उस बेईल्तिफानी नज़र में रखा क्या है
ग़म नहीं दिल--रंजूर को फ़राग का
की इस नबर्द--इश्क में रखा क्या है
दहान--ज़ख्म की तो आदत है मुझे
अब ग़म--जीस्त,शब्--फिराक में रखा क्या है


Meanings--->
खुशा -- मुबारक
लब-ए-ताबस्सुल -- होठों की मुस्कान ।
मुअय्यन -- नियत ।
खल्वत -- तन्हाई ।
निगार -- हसीन महबूब ।
बेईल्तिफानी -- बेरुखी ।
दिल-ए-रंजूर -- ग़मज़दा दिल ।
फ़राग -- जुदाई ।
नबर्द-ए-इश्क -- प्रेम युद्ध ।
दहान-ए-ज़ख्म -- ज़ख्म खाना ।
ग़म-ए-जीस्त -- जीवन के दुःख ।
शब्-ए-फिराक -- वियोग की रात ।


by -->
Srijan


By ---> SRIJAN

Friday, January 9, 2009

My first shayari......

This shayari reflects my philosophy of love...

ये गाफिल तेरी नज़रें ,यूँ ढूँढें क्या दरीचों से
सदा--दिल सुन काफिर,तेरी हसरत में है वही॥
अर्ज़--तमन्ना कर ,कहर ढ़ा खब्त--दिल॥
अश्क--मंज़र देखें नज़रें,तेरी फितरत में ये नहीं॥


Meanings--
गाफिल-बेसुध
दरीच-खिड़कियाँ
हसरत-इच्छा
खब्त-पागल

by-->
Srijan