Wednesday, May 27, 2009

'उम्मीद'

उम्मीद का दमन थाम किसे क्या नसीब हुआ है ।
दूर तो वही गया है जो जितना करीब हुआ है ।
कोशिश तो हम भी करते हैं की न करें कोई हसरत ।
पर क्या करें इस दिल का जो मेरा रकीब हुआ है ॥

कौन कहता है की वक्त की शाख से लम्हे नही तोड़ा करते ।
हम तो उन लम्हों के सहारे ही जिए बैठे हैं ।
बेशक
वो उनके लिए ज़र्द हो चुके हो ।
पर हम तो अपना गुलशन वीरान किए बैठे हैं ॥

by --->
Srijan



Monday, May 25, 2009

'दिल-ऐ-रंजूर'

हर सुखन पर वो करते हैं हौसलाफजाई,
और लब--खामोशी पर करते हैं मुआखज़,
पर अफ़सोस की वो निहाँ--गम को जो समझे

ज़ेहेन में तो हर सू उठे सवाल,
की हो जा इस तल्ख़ सच से रूबरू,
पर बरबन्दे इश्क में ये दिल--गुमगश्ता समझे

Meanings -->

सुखन - शायरी
मुआखज़ - पूछ ताछ
निहाँ - छिपा हुआ
हर सू - हर तरफ़
तल्ख़ - कड़वा
बरबन्दे--इश्क - इश्क की कैद
दिल--गुमगश्ता - खोया हुआ दिल

By --->
Srijan

Tuesday, January 20, 2009

Gham-E-Pinhaa.....

खुशा हो तुझे तेरे लब-ए-ताबस्सुल
की मुझे मुअय्यन मेरी खल्वत में रखा क्या है
वो तो मुरीद हूँ मै नूर--निगार का
वर्ना उस बेईल्तिफानी नज़र में रखा क्या है
ग़म नहीं दिल--रंजूर को फ़राग का
की इस नबर्द--इश्क में रखा क्या है
दहान--ज़ख्म की तो आदत है मुझे
अब ग़म--जीस्त,शब्--फिराक में रखा क्या है


Meanings--->
खुशा -- मुबारक
लब-ए-ताबस्सुल -- होठों की मुस्कान ।
मुअय्यन -- नियत ।
खल्वत -- तन्हाई ।
निगार -- हसीन महबूब ।
बेईल्तिफानी -- बेरुखी ।
दिल-ए-रंजूर -- ग़मज़दा दिल ।
फ़राग -- जुदाई ।
नबर्द-ए-इश्क -- प्रेम युद्ध ।
दहान-ए-ज़ख्म -- ज़ख्म खाना ।
ग़म-ए-जीस्त -- जीवन के दुःख ।
शब्-ए-फिराक -- वियोग की रात ।


by -->
Srijan


By ---> SRIJAN

Friday, January 9, 2009

My first shayari......

This shayari reflects my philosophy of love...

ये गाफिल तेरी नज़रें ,यूँ ढूँढें क्या दरीचों से
सदा--दिल सुन काफिर,तेरी हसरत में है वही॥
अर्ज़--तमन्ना कर ,कहर ढ़ा खब्त--दिल॥
अश्क--मंज़र देखें नज़रें,तेरी फितरत में ये नहीं॥


Meanings--
गाफिल-बेसुध
दरीच-खिड़कियाँ
हसरत-इच्छा
खब्त-पागल

by-->
Srijan